हंगामा है क्यूं बरपा !

Posted 8:59 pm by व्‍यंग्‍य-बाण in लेबल: , ,


  • टीवी चैनल पर गुलाम अली साहब की पुरकशिश आवाज से सजी गजल चल रही थी गजल ‘ हंगामा है क्यूं बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है, डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है‘। तभी मोबाईल की कानफाड़ू रिंगटोन ने रंग में भंग डालते हुए मजा किरकिरा कर दिया। चैनल के दफ्तर से फोन था, डेस्क वाले बंधु ने जरा तेज आवाज में फटकारते हुए कहा ‘अरे, क्या कर रहे हो, शाम का बुलेटिन शुरू होने वाला है, तुम्हारे शहर में बिजली विभाग के दफ्तर में जमकर हंगामा हो रहा है और तुम अभी तक सो रहे हो। मैं हड़बड़ाया, अपना बैग उठाया और लपक लिया बिजली विभाग के दफ्तर की ओर। वहां पहुंचते तक हंगामा थम चुका था, पर लोगों की भीड़ थी, मैंने कैमरा चालू किया और फुटेज बनाने लगा। किसी तरह दफ्तर के अंदर दाखिल हुआ तो कुछ कुर्सियां टूटी हुई, सामान बिखरा हुआ, मुझे तो मुंहमांगी मुराद मिल गई, फटाफट शूटिंग करके अफसरों और जनता की बाईट लेकर उसे चैनल में भेजने के लिए भिड़ गया। डेढ़ घंटे बाद चैनल पर न्यूज शुरू हो गई थी, एंकर अपनी तड़कती-फड़कती आवाज में हंगामें का गुणगान शुरू कर चुका था ‘हम आपको दिखा रहे हैं ब्रेकिंग न्यूज, किस दफ्तर में हुई जमकर तोड़फोड़, किस अधिकारी को पीटा जनता ने, आखिर क्यूं हुआ हंगामा वगैरह, वगैरह..। फिर वही तामझाम के साथ खबर परोसी गई दर्शकों को। 
  • हाय रे हंगामा, सोचते सोचते सिर तेजी से घूमने लगा, कितना हंगामा होता है रोज देश में, बिना हंगामें के शायद राजनीति और मीडिया के पेट का पानी नहीं पचता होगा दिन भर में। वैसे भी इन दिनों देश में बवाल पर बवाल, हंगामा ही हंगामा हो रहा है। जनरल वी. के. सिंह की उम्र का हंगामा थमा नहीं कि अरविंद केजरीवाल ने अपने मुखारबिंद से मंत्री वीरभद्र सिंह की भद्रता को ललकार दिया, फिर हंगामा, मामला सलटा नहीं कि इंडियन एक्सप्रेस की सनसनीखेज रिपोर्ट ने फिर बवाल कर दिया, सदन से लेकर सड़क तक फिर हंगामा। वैसे आजकल हंगामें के कुछ पेटेंट परमानेंट हो गए हैं, अन्ना कुछ बोले तो हंगामा, दिग्गी मुंह खोले तो हंगामा, मनमोहना के मौन पर हंगामा, ममता के कड़वे बोल पर हंगामा, रेल बजट आया तो हंगामा, कामनवेल्थ घोटाले का जिन्न फड़फड़ाया तो हंगामा। देश इन दिनों हंगामें की चपेट में है। राजनीति में हर बात पर हंगामा मचाना तो जैसे खाने के बाद हाजमोला के चटखारे लेने जैसा हो गया है। जितने हंगामें हमारे देश में रोजाना होते हैं अगर उनकी फेहरिस्त बनाई जाए तो इस विधा में भी हमारे देश का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जरूर दर्ज हो जाएगा। पुरानी फिल्म में एक गीत है ‘सारंगा तेरी याद में नैन हुए बेचैन..। तो हंगामा के गुणगान में मुझे भी ये कहना पड़ रहा है कि ‘हंगामा तेरी आस में, नैन हुए बेचैन, तुम्हरे बिन अब लोगों के, दिन कटते नहीं रैन।




0 comment(s) to... “हंगामा है क्यूं बरपा !”

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें