गिरगिट जी की महानता

Posted 3:25 am by व्‍यंग्‍य-बाण in लेबल: , ,
व्यंग्य

रंग बदलने की फितरत और उदाहरण भले ही गिरगिट जी के हिस्से में आते हैं, लेकिन मानव जाति में भी कम रंग बदलू लोग नहीं हैं। बल्कि ऐसे लोगों की संख्या ‘मेक प्रोग्रेस लिप्स एंड बाउंस‘ यानि दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। स्व. शम्मी कपूर अभिनीत एक फिल्म का गाना भी कुछ इसी तरह है ‘इस रंग बदलती दुनिया में, इंसान की नीयत ठीक नहीं, निकला न करो तुम सज-धज कर ईमान की नीयत ठीक नहीं‘। देश किन परिस्थितियों से गुजर रहा है, यह तो बीते दस-पंद्रह दिनों में ही लंगोट कसकर अन्ना का अनशन दिखाने वाले चैनलों की बदौलत देखने को मिल रहा है। भ्रष्ट लोगों को जड़ से उखाड़ना कितना कठिन है, यह अब अन्ना टीम और उनके समर्थकों को अब पता चल रहा है। सरकार के मंत्री, संतरी किस तरह हर दिन, हर पल रंग बदलते रहे कि इतने बार रंग बदलने के बाद तो गिरगिट जी को भी शर्म आने लगी होगी खुद पर (जी कहना दरअसल हमनें तब से सीखा, जब से दिग्गी राजा ने ओसामा बिन लादेन को जी कहा था), तो साहेबान, कदरदान, मेहरबान, पेश है भ्रष्टाचार में सर से पांव तक डूबे हमारे देश की दास्तान। अन्ना साहब और उनकी टीम ने अनशन शुरू होने से लेकर एक ही रट लगाए रखी कि जनलोकपाल बिल पास होना चाहिए। अन्ना टीम और लाखों आवाम को शायद मालूम हो, फिर भी बताना जरूरी है कि किसी भी बिल को पास कराने के लिए अधिकतर सरकारी दफ्तरों में एक बंधा-बंधाया कमीशन देना पड़ता है। बिना लिए-दिए तो बाबू के हाथ से फाईल आगे सरकती नहीं, अफसर के दस्तखत होते नहीं, भले ही चार के बजाय चालीस दिन और चार महीने बीत जाएं। तो ऐसे हाल में बिना कुछ लिए-दिए भूखे रहकर अनशन करने वाले अन्ना के जनलोकपाल बिल को सरकार कैसे पास होने देगी! आखिर परंपरा भी कोई चीज है भई ! देश से अंग्रेज तो चले गए, पर अपनी कूटनीति का कुछ हिस्सा यहीं छोड़ गए। लिहाजा बचे हुए हिस्से को आजमाने का काम सरकारें करती रहती हैं, अफसर भी करते हैं कि फूट डालो, राज करो, सामने वाला तो अपने आप ही केकड़ा चाल में फंसकर खत्म हो जाएगा। अनशन के दौरान जितनी बार कुछ नेताओं ने अपने रंग बदले हैं, उससे तो लगता है कि गिरगिट जी को किसी कोर्ट में ऐसे लोगों पर मानहानि का मुकदमा दायर कर देना चाहिए, आखिर उसके हक हिस्से का रंग बदलू काम किन्हीं और लोगों ने कैसे हथिया लिया। लेकिन यह गिरगिट जी की महानता ही है कि उन्होंने ऐसे लोगों को अदालती मामले में नहीं घसीटा और उसे इस बात का फक्र भी है कि उसने अपना धर्म नहीं बदला, भले ही देश के आम लोगों का हक चूसकर मुटियाने वाले भ्रष्टाचारी अपना धर्म-ईमान बदलते रहें।


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